Introduction
भारत मे संगीत को प्राचिन समय से हि काफ़ि महत्व दिया जाता था |भारत एक ऐसा देश हे जहा हर जगाह संगीत बस्ता है | आप को जान के हेरानि होगि कि भारत मे ऐसे पथर पाये जाते हे जिन्मेसे संगीत कि अवाज आति हे आज हम एक ऐसे हि Musical Pillars की बात करे गए जिन्मेसे सुर निकलते है |
इतिहास
15मि शताबदि मे देवाराय दुसरे के शासनकाऌ मे तुन्ग्भद्रा नदि के पास हम्पि मे विथल मन्दिर का निर्माण हुआ था| ये मंदिर भगवान विठल को समर्पित है इसलिए इसे विज्या षशठ कहा जाता है| इस मंदिर का निर्माण द्रविड़ शेली मे हुआ है यहा बनाये गये रथ मंदिर कि भव्यय्ता ओर कहि नहि देखने मिलती है | यहा 500 से भि ज्यादा समारको से भरा हे | इस मन्दिर कि काफ़ि खुबिया हे ये अपनि भव्य्ता के लिये काफ़ि जाना जाता हे लेकिन ह आज उन्मे बने Musical Pillars कि बात करेगे।
इस से कइ मान्यता जुड़ी हे लोगो को ये इक रहस्य लगता है लेकिन इस मे जो पथर का उपयोग किया गया है इस मे जो ग्रेफ़ाइट पाया जाता हे जो संगीत बजाने कि काबिलियत रखता है | हम्पि विजयनगर कि राजधानि थी |हम्पि ओर कइ भव्य समारक हे जो अपनी भव्य्ता के लिये जाने जाते है |
पिलर कि रचना
इस मंदिर मे 56 पिलर पाये जाते हे जिस्मे कितनि कोलम पाइ जाति हे सब पिलर कि रचना एक समान है |पिलर को एक वाध यंत्र कि तराह बनाया गया है | मुख्य पिलर छोटे सात पिलर से खेरा हुआ है | कइ कोलम मे सुन्दर मुर्तिया भि बनि हे ये भारतीय कला का एक आदर्श् नमुना हे |इस पिलर मे उपयोग किये गये पथर मे ओरथोकलेस (Orthoclase) पाया जाता हे | एसे पथर कइ देश मे पाए जाते हे लेकिन सबसे बेहतर नमुना भारत मे है|ये हम सब के लिये गर्व कि बात है |
जब एक पिलर को बजाते है तो उस्मे निकले हुइ सुर सुन्दर होते हे और धिरे धिरे अवाज बढ़ती जाति हे और बेहतर तरिके से सुनाइ देति हे | एक पिलर को बजाते हे तो अवाज धिरे धिरे सब पिलर मे सुनाइ देति हे |इस Musical Pillars मे कइ तराह के सुर निकलते है जैसे कि घंट कि अवाज ,सारे गा मा पा ,ओर कइ तराह के सुर निकलते है |इसे सारे गा मा पा पिलर भि कहा जाता है | जब भगवान विठल को भेट दिये जाते हे तब इसी पिलर के संगीत पर नृत्य किया जाता था |
भारतीय संस्कृति का ये एक बेहतरीन नमुना हे इसे विश्व विरासत का दर्जा दिया गया है |इसे पता चलता है कि भारतीय कारिगर कितना हुनर रखते थे आज काल हमारे पास इत्नि सारि टेक्नोलोजी होने के बावजूद भी एसि कला नहि बना सकते |
भारतीय कला का ये शानदार नुमना है |अभी तक कोइ भि इस संगीत निकल ने के पिछे का राज नहि जान पाया | वास्तुकला का भि ये बेहतरीन नमुना है।
भारत एसे कइ मंदिर हे जो प्राचीन भारतीय कला को उजागर करते हे हमे इसे मंदिर कि कला ओर संस्कृति को जान ना चाहिए ओर नए पिढि के लिए इसका जतन करना चाहिए |नए पिढि को भारतीय संस्कृति से वास्तविकता करानि चाहिए |
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FAQ
Q – हम्पी क्यों प्रसिद्ध है?
Ans – हम्पी अपने बड़े से मंदिर के लिए फेमस है, यहाँ का मंदिर एक रथ की तरह लगता है और यह मंदिर विष्णु भगवान के वाहक गरुड को समर्पित है।
Q – हम्पी का पुराना नाम क्या है?
Ans – वैसे देखा जाए तो हम्पी के कई सारे पुराने नाम है पर इनमे से पम्पा क्षेत्र, भास्कर क्षेत्र, हम्पे ये ज्यादा फेमस है।
Q – हम्पी की खोज कब हुई?
Ans – हम्पी की खोज साल 1800 मे हुई थी और इनकी खोज कोलिन मच्केंजि ने की थी।
Q – हंपी के राजा कौन थे?
Ans – हम्पी के राजा कृष्ण देवरायजी थे।
Q – 50 के नोट पर क्या छपा है?
Ans – नई 50 की नोट मे हम्पी की फोटो छपी है।
One thought on “यहां 56 पिलर्स से निकलता है संगीत, चलो आज जानते है हम्पी के Musical Pillars के बारे में।”