July 5, 2024
ganesh chaturthi

Ganesh Chaturthi 2023 : गणेश चतुर्थी का महत्व और गणेशजी की पूजा का मुहूर्त।

Ganesh Chaturthi 2023 व्रत का महत्व, पूजा-विधि, व्रत मनाने का तरीका, शुभ मुहूर्त ( Ganesh Chaturthi vrat mahatv, puja-vidhi, Shubh muhurt )

 

Ganesh Chaturthi 2023 : हिन्दू धर्म मे गणेशजी को सबसे अग्रणी देवता माना जाता है। दरसअल हिन्दू धर्म में हर शुक्ल पक्ष की चतुर्थ तिथि को विनायक चतुर्थी के रूप मे मनाई जाती है पर जब ये तिथि भाद्रपद महीने में आती है तब इसे गणेश चतुर्थी के रूप मे मनाई जाती है। इस त्योहार का महत्व पूरे भारत में है पर महाराष्ट्र में जोरशोर से मनाया जाता है। महाराष्ट्र में इस त्योहार को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है। भारत में हर साल करोड़ों लोग इस त्योहार के दिन गणेशजी की पूजा और व्रत करके अपने आपको भाग्यशाली मानते है।

 

गणेशजी का जन्म

गणेशजी के जन्म और इनको हिन्दू धर्म के अग्रणी देवता बनाने के पीछे एक लंबी कहानी है। दरसअल पार्वती माता जब भी स्नान करने जाती थी तब अपने शरीर का मैल इकट्ठा करती थी और इस मैल से इन्होंने एक सुंदर जीवित बालक को उत्पन्न किया और इस बालक को गणेशजी का नाम दिया। एक बार पार्वतीजी को नहाने जाना था तब इसने अपने बच्चे गणेश को बोल की में अंदर नहाने जा रही हूँ तू यहाँ बाहर खड़ा रहकर अंदर किसी को आने मत देना और यहाँ पे मेरी चोंकीदारी का ध्यान रख।

जैसे ही पार्वतीजी अंदर नहने चली गई तो थोड़ी देत बाद भगवान शिव वहाँ पे आए और शिव ने अंदर जाने की कोशिश की पर पर वहाँ खड़े गणेशजी को पहचान नहीं सके। गणेशजी ने नादार जाने के लिए मन किया की आप अंदर नहीं जा सकते अंदर मेरी मत स्नान कर रही है। शिव जी नहीं माने और उनके साथ बहश करने लगे और अंत मे शिव जी को उन पर गुस्सा आया और अपने त्रिशूल से इनकी गरदन काट दी।

जैसे ही पार्वतीजी स्नान करके बाहर आई तब इसने अपने बेटे का शिर कैट हुए देख कर क्रोधित हुए और अपनी पूरी शक्ति से पूरा ब्रह्मांड हिल दिया। इसके दौरान सभी देवताओ वहाँ उपस्थित हुए और पार्वतीजी को बहुत समजाया पर इन्होंने उनकी एक नहीं सुनी। आखिर में ब्रह्मा जी ने शिव के वाहक नंदी को बोला की पृथवी लोक पर जो और जो पहला प्राणी मिले इनका मस्तक काट कर लो बस शर्त यह है की जिसकी माता उसकी तरफ पीठ करके सोई हो।

शिव का वाहक नंदी इनकी खोज करने निकलता है और उनको एक हाथी दिखाई देता है जिनकी माता उसकी तरफ पीठ करके सोई हो। नंदी उसका सिर काटकर लता है और वही सिर गणेशजी के ऊपर छड़ते है और इनको पुनः जीवित करते है। बाद मे शिवजी इनको सभी गणो के स्वामी होने का आशीर्वाद देते है और इनका नाम गणपती रखते है। और अन्य देवताओ भी गणेशजी को देवताओ के अग्रणी बनाने का आशीर्वाद देते है।

 

गणेश चतुर्थी कब और कहाँ मनाई जाती है ( Ganesh Chaturthi Celebration )

भाद्रपद के शुक्ल पक्ष के चतुथी पर गणेश चतुर्थी मनाई जाती है इस त्योहार भारत में रहने वाले सभी हिन्दू आउए विदेश में रहने वाले सभी हिन्दू मानते है। पर इस त्योहार को भारत के महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा मनाया जाता है। कहा जाता है की महाराष्ट्र में गणेशजी का एक विशेष स्थान है। यहाँ पर इनकी पूरी रीत रिवाज के साथ स्थापना की जाती है और विशेष तरीके से इनकी पूजा अर्चना की जाती है।

 

गणेश चतुर्थी व्रत का महत्व (Vinayaka Chaturthi Importance)

गणेश चतुर्थी को भगवान गणेशजी के जन्मोत्सव के रूप मे मन जाता है। शास्त्रों के गणपती का जन्म भाद्रपद महीने के चतूथी के दिन हुआ था। इसी दिन भगवान को ज्ञान, समृद्धि और दिव्य अवतार के रूप में पूजा जाता है। इसी दिन गणेशजी की पूजा करने से हमें और हमारे परिवार को अच्छा ज्ञान और हमें समृद्धि मिलती है।

 

गणेश चतुर्थी मनाने का तरीका (How to celebrate Ganesh Chaturthi)

इस त्योहार सिर्फ घर के साथ ही नहीं मनाया जाता पर इन त्योहार को अपने पाड़ोशियों के साथ मनाया जाता है। इस त्योहार के दौरान गली महोले वाले विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताये और आयोजन रखा जाता है इसमे सभी लोग बढ़ा चड़ा के हिस्सा लेते है। ऐसे मे गणेश उत्सव के बहाने लोगों में एकता आती है।

 

गणेश चतुर्थी व्रत पूजा विधि ( Ganesh Chaturthi vrat Puja Vidhi )

गणेश चतुर्थी के दिन पंचांग में मुहूर्त देखकर गणपती की स्थापना की जाती है। और ईशान कोणे में स्वच्छ जगह पर रंगोली डाली जाती है उसको चौक पूर्ण कहते है। और पर लाल और लीला कपड़ा बिछाते है। और इस कपड़े पर कैले के पते अथवा कोई भी अनाज रख कर गणपती की मूर्ति की स्थापना की जाती है, इसके साथ सवा रुपये के साथ सोपरी भी राखी जाती है। इसके साथ कलश भी रखा जाता है इनके साथ नारियल भी रखा जाता है और इनके मुख पर धागा बाँधा जाता है।

इस कलश को पूरे दस दिन तक गणपती के साथ रखा जाता है, दस दिन के बाद इस नारियल को फोड़ कर प्रशाद खाया जाता है। कलश की पूजा की जाती है जिसमे जल, कुमकुम, चावल चढ़ा कर पुष्प अर्पित कीये जाते है। कलश के बाद गणेश जी की पूजा की जाती है जिसमे गणपती को वस्त्र पहनाए जाते है और उसमे पुष्प अर्पित कीये जाते है। और बाद मे गणेशजी को मोदक का भोग लगाया जाता है क्यूंकी गणेशजी को मोदक बहुत प्रिय है।

उसके बाद सभी परिवारजनों के साथ आरती की जाती है और बाद में प्रशाद वितरित किया जाता है।

 

भारत में गणेश जी के प्रसिद्ध मंदिर का लिस्ट (Famous Ganesh Temple List)

क्रम मंदिर के नाम
1गणपति पुले कोंकण तट
2सिद्धी विनायक
3रणथम्भौर
4कर्पगा विनायक
5रॉक फोर्ट उच्ची पिल्लायर तिर्रुचिल्लापली
6मनाकुला विनयागर
7मधुर महा गणपति मंदिर
8ससिवे कालू कदले गणेशा
9गणेश टोक
10दगडूशेठ
11मोती डूंगरी
12मंडई गणपति
13खड़े गणेश जी
14स्वयंभू गणपति
15खजराना

 

FAQ

Q – गणेश चतुर्थी कब है ?

Ans – 19 सितंबर 2023

 

Q – गणेश चतुर्थी कब मनाई जाती है ?

Ans – भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है।

 

Q – गणेश चतुर्थी कैसे मनाया जाता है?

Ans – गणेश चतुर्थी के दौरान गनैजी की मूर्ति घर में अथवा महोले मे रखा जाता है और सब लोग इसकी पूजा करते है और लगाए हुए भोग का प्रशाद ग्रहण करते है।

 

Q – गणेश चतुर्थी वाले दिन क्या नहीं करना चाहिए?

Ans – गणेश चतुर्थी के दौर रात्री में चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए क्यूंकी मन जाता है की ऐसा करने से जूठा कलंक अथवा आक्षेप लगने की संभावना रहती है।

 

यहाँ भी पढे :

वंदे भारत एक्स्प्रेस

Musical Pillars Hampi

2 thoughts on “Ganesh Chaturthi 2023 : गणेश चतुर्थी का महत्व और गणेशजी की पूजा का मुहूर्त।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *